Hindi poem for mother : ma mei kuch badi ho gayi hu

माँ , अब मैं  बड़ी   हो गयी हूँ

माँ , अब मैं  बड़ी   हो गयी हूँ

कुछ नटखट से बदल कर

बड़ी समझदार हो गयी हूँ

कुछ तुम जैसी हो गयी हूँ

तो कुछ अपने  जैसी रह गयी हूँ।

माँ , अब मैं  बड़ी   हो गयी हूँ

जानती हूँ डर लगता है तुमको जब

सोचती हो क्या संभाल पाऊँगी मैं भी सब

दुनिया के उतार चढाव में न जाने कब

पैर फिसला तो क्या होगा तब

माँ तेरी ही तरह मैं भी फिर जी जाऊंगी

माँ तुमसे ही सीखा ,गिर के भी फिर उठ जाउंगी

माँ मैं भी तुम्हारी तरह इस जग में नाम कमाऊंगी

माँ तुम मेरी हो, इस बात पर  गर्व से सर  उठाऊंगी

बस माँ,मुझ को भी अब कुछ कर गुज़रने की आदत सी लग गयी है

शायद मन में कुछ अलग करने की चाहत सी बस गयी है

इसलिए अब कुछ अलग सी हो गयी हूँ ,

क्योकि माँ, मैं  भी अब बड़ी हो गयी  हूँ ।

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