Something for Hindi

हिंदी पर गर्व करना ,ये वाक्य मेरे लिए उतना ही अद्भुत है जितना संसार में  पेड़ो  का  हरे होना या आकाश का नीला होना।

मैं  तो सदैव हिंदी की ही रही हूँ और हिंदी कभी भी मेरे लिए भाषा तो रही नहीं।  मेरी अभिव्यक्ति ,भाव ,तनाव,हास्य  और रूचि तो हिंदी ही रही और रहेगी  भी।

जब मेरी सोच का माध्यम हिंदी ही  है तब गर्व किस बात के लिए और क्यों? खैर , इस प्रश्न  का उत्तर  भी मुझे हिंदी ने ही आपने तरीके से दिया।

कोई दो दशक  पूर्व अंग्रेज़ी सीखना मेरी अनिवार्यता बन गयी थी।  अंग्रेज़ी  का एक टेस्ट होता था , IELTS  अब उन दिनों बिडम्बना ये थी की विदेशी मेडिकल एग्जाम से  पूर्व IELTS में एक निर्धारित स्कोर लाना पड़ता था। उन दिनों मेरी इंटर्नशिप चल रही थी और नया नया शौक लगा IELTS देने का।  अब उस वक़्त इंटरनेट आज की तरह बहु प्रचिलित नहीं हुआ करता था।  इसलिए लोगो से पूछ पाछ  कर काम चलना पड़ता था।  किसी ने बताया की कॉलेज के एक सीनियर  ने हाल ही में  IELTS क्लियर किया हुआ है तो उनसे पूछ लो।  ख़ैर IELTS की जानकारी और किताबे तो उपलब्ध हुई परन्तु अंग्रेज़ी भाषा के ज्ञान के अर्जन हेतु मैं ने इन श्रीमान की श्रीमती होने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। इसी बीच IELTS का स्कोर आया ,अपनी उपलब्धि पर किसी ओलिंपिक पदक विजेता जैसा गर्व महसूस हो रहा था।  लगा चलो अंग्रेज़ी तो सीखी अब आगे तो अंग्रेज़ी ही रास्ता दिखाएगी।  पर ये क्या IELTS  का स्कोर तो केवल दो साल तक ही मान्य रहता है।  मतलब जो करना है वो दो साल के अन्दर करो वरना दुबारा टेस्ट दो. अब हमे लगा ये दोबारा ऐसा  कपटी एग्जाम दे ने की हिम्मत तो है नहीं तो सोचा चलो एक बार विदेश यात्रा कर ही आये।  इसी व्यस्तता में हिंदी को मैं आपने से दूर कर  रही थी। हिंदी में न कोई लेख पड़ती थी और न किसी से हिंदी चर्चा का प्रयोजन महसूस होता था।  समय बीतता गया और हिंदी चुपचाप मेरा इन्तज़ार करने लगी। कभी हिंदी मुझ से मिलने आती बच्चो  की लोरियों में तो कभी बच्चो   छोटी छोटी कहनियो में।  धीरे धीरे बच्चो को अहसास हो गया था की उनकी माँ की मातृ भाषा हिंदी ही है और अंग्रज़ी सिर्फ कार्य क्षेत्र की भाषा  भर है। बच्चो में एक गर्वबोध था माँ से अच्छी हिंदी किसी की नहीं है।  बस दोनों ने जिद पकड़ ली की अब उन्हें हिंदी में कोई चैंपियन बना सकता है तो उनकी माँ. अपनी टूटी फूटी हिंदी ले कर शब्दों को लगे जोड़ने।  उनका आग्रह  देख हिंदी थोड़ा हसीं ,फिर हाथ थाम कर बोली -चलो फिर से शुरू करे अ से अनार।

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